राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण और भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो, नागपुर
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भू-संसाधन लक्षण वर्णन, प्रबंधन और भूमि उपयोग नियोजन (एनबीएसएस एंड एलयूपी, नागपुर)
4.
पश्चिम उत्तर प्रदेश में भूमि उपयोग नियोजन व कृषि उत्पादन आंकलनों हेतु अनुरूपण मॉडलों से युक्त स्थानिक-क्षेत्रीय जैव-भौतिकीय तथा सामाजिक-आर्थिक संबंध
5.
महाराष्ट्र में नागपुर जिले के कोकारडा और कानियाडोल गांवों में किये गये अध्ययन के जरिए भागीदारी भूमि उपयोग नियोजन (पीएलयूपी) में नया दृष्टिकोण विकसित कर इसे वैधता प्रदान की गयी।
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थार के इलाके कितनी जल्दी रेगिस्तानी होते रहे हैं, इसका अंदाजा इसी से लगता है कि राष्ट्रीय मृदा सर्वे और भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो ने 1996 में थार का इलाका एक लाख 96 हजार 150 वर्ग किलोमीटर माना था, जो अब बढ़कर दो लाख आठ हजार 110 किलोमीटर हो चुका है।
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इन उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए संभाग ने अजैविक दबाव प्रबंधन (सूखा, शीत लहरी, बाढ़, लवणता, क्षारीयता, अम्लीयता और पोषण में कमियां आदि) जलवायु अनुकूल कृषि, संरक्षण कृषि-जैविक खेती, मृदा और जल का जैव उपचार, बायोफोर्टिफिकेशन, जैवईंधन, जैव-उद्योग जलसंभर और सूक्ष्म स्तरीय भूमि उपयोग नियोजन के लिए विकास आदि की अनुसंधान प्राथमिकताएं तय की हैं।
8.
जिला जलग्रहण विकास इकार्इ (भू संरक्षण परिसर), में उदयपुर जिले की आर्इडब्ल्यूएमपी परियोजना के अंतर्गत पंचायत समिति गिर्वा में स्वीकृत जलग्रहण क्षेत्रा चणावदा द्वितीय में किये गए सोर्इल सर्वे पर आधारित प्रजेन्टेशन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नर्इ दिल्ली के अधीन राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो उदयपुर के केन्द्र प्रमुख एवं प्रधान वैज्ञानिक आर. एस. सिंह के निर्देशन में दिया गया।